Thursday, July 25, 2024
HomeKHETI KISANIगाजर की खेती से किसान कमा रहे है लाखों रुपय का मुनाफा,...

गाजर की खेती से किसान कमा रहे है लाखों रुपय का मुनाफा, जाने इस खेती को कैसे करे, और इससे होने वाले फायदे

आप भी जानते होंगे गाजर का इस्तेमाल बहुत से चीजों को बनाने में किया जाता है। इसका उपयोग पशुओं के चारे के रूप में भी किया जाता है. गाजर विटामिन तत्वों से भरपूर होती है। इसलिए आहार में गाजर का नियमित रूप से सेवन करना सेहत के लिए बहुत ज्यादा फेफडेमॉंड होता है। नारंगी रंग की गाजर में कैरोटीन की मात्रा बहुत ज्यादा पायी जाती है। गाजर की खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, असम, कर्नाटक,आंध्र प्रदेश, यूपी, महाराष्ट्र और बिहार में पैदा की जाती है. गाजर की कटाई बुवाई के 70 से 90 दिन बाद कर ली जाती है। इसकी पैदावार 8 से 10 टन प्रति हेक्टेयर में होती है। इसे कच्चा व पकाकर दोनों तरीके से खाना फायदेमंद होता है। या आप इसे सब्जी सलाद के साथ भी खा सकते है। गाजर में काफी मात्रा में विटामिन व मिनरल पाए जाते हैं. इसलिए इसका सेवन सेहत के लिए बहुत जायद लाभकारी होता है। इसकी खेती कर किसान अच्छे पैसे कमा रहे है।

कैसे करे इस खेती की तैयारी

यह भी पढ़े –सर्दियों में मूंगफली खाना सेहत के लिए ही नहीं त्वचा और बालों के लिए भी होता है बेहद फायदेमंद, जाने इससे होने वाले भरपूर…

इस खेती को बुआई से पहले समतल कर लेना ज्यादा फायदेमंद होता है। इसके लिए खेत की 2 से 3 गहरी जुताई करना जरुरी होता है। प्रत्येक जुताई के बाद पाटा लगाएं ताकि ढेले टूट जाएं और मिट्टी अच्छी तरह से भुरभुरी हो जाती है। इसके बाद खेत में गोबर की खाद को अच्छी तरह मिला देना जरुरी होता है। इस तरह इस खेती को पहले तैयार कर लीजिये।

इस खेती के लिए जलवायु और मिट्टी

गाजर का गहरा रंग पाने के लिए तापमान 15-20 डिग्री सेल्सियस होना बहुत ज्यादा जरुरी होता है। जानकारों के मुताबिक 10 से 15 डिग्री सेल्सियस पर गाजर का रंग हल्का ही रहता है। गाजर की बुवाई अक्टूबर के अंत और नवंबर के पहले सप्ताह में करना ज्यादा बेहतर रहता है। इसकी अच्छी पैदावार के लिए 18 से 24 डिग्री सेल्सियस तापमान ज्यादा फेफेमंद होता है।

खाद एवं उर्वरक का प्रयोग

इस खेती की तैयारी के समय 20 से 25 टन गोबर की सड़ी खाद प्रति हैक्टेयर जुताई करते समय डालना ज्यादा लाभकारी होता है। इसके अलावा 20 किलोग्राम शुद्ध नाइट्रोजन, 20 किलोग्राम फास्फोरस व 20 किलोग्राम पोटाश की मात्रा बिजाई के समय प्रति हैक्टेयर के खेत में डालना चाहिए। 20 किलोग्राम नाइट्रोजन लगभग 3 से 4 सप्ताह बाद खड़ी फसल में लगाकर मिट्टी चढ़ाते समय देना ज्यादा फायदेमंद होता है।

गाजर की खेती को करने के तरीके

यह भी पढ़े –सूरजमुखी के बीजों में पाए जाते है औषधि गुण सेहत में होते है इसके बहुत से लाभ, जाने इसका सेवन कैसे करे

गाजर की खेती के लिए मिटटी की गहरी जुताई करना ज्यादा फायदेमंद होता है। जमीं को समतल करना ज्यादा आवशयक होता है। दोनों पौधों के बीच की दूरी 45 सेमी होनी चाहिए. बीज बोते समय दो पंक्तियों में 30 से 45 सेमी की दूरी पर रखना ज्यादा फायदेमंद होता है। और फिर पतला करके दोनों रोपों के बीच 8 सेमी की दूरी रख लीजिये। एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए लगभग 4 से 6 किलो गाजर के बीजों की जरुरत पड़ेगी। बुवाई के 12 से 15 दिन बाद बीज बोने से पहले अच्छी तरह से अंकुरित हो जाते है। इस तरीके से आप इस खेती को कर सकते है। और इस खेरी का लाभ उठा सकते है

RELATED ARTICLES