Saturday, July 27, 2024
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गाजर की खेती से किसान कमा सकते है लाखों का मुनाफा, जाने इस खेती से जुड़ी जानकारियों के बारे में

गाजर की खेती के बारे में आप भी जानते होंगे , ठंड में इसकी खेती करना बहुत ज्यादा फायदेमंद रहता है। गाजर की आहार के रूप में सब्जी बनाई जाती है या सलाद से रोप में भी इसका इतेमाल किया जाता है। इसका उपयोग पशुओं के चारे के रूप में भी किया जा सकता है। गाजर में विटामिन अधिक मात्रा मे पाया जाता है। इसलिए आहार में गाजर का नियमित सेवन आंखों और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है। नारंगी रंग की गाजर में कैरोटीन की मात्रा अधिक ज्यादा होती है।

गाजर की खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, असम, कर्नाटक,आंध्र प्रदेश, यूपी, महाराष्ट्र और बिहार में इसकी खेती अधिक मात्रा में की जाती है। गाजर की कटाई बुवाई के 70 से 90 दिन बाद करना ज्यादा फायदेमंद होता है। इसकी उपज 8 से 10 टन प्रति हेक्टेयर में होती है। इसलिए किसान इसकी खेती से अच्छे दामों पर पैसे कमा सकता है।

इस खेती में जलवायु और मिट्टी

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गाजर का रंग तापमान 15-20 डिग्री सेल्सियस होना ज्यादा जरुरी होता है। 10 से 15 डिग्री सेल्सियस पर गाजर का रंग बहुत ज्यादा हल्का होता है। गाजर की बुवाई अक्टूबर के अंत और नवंबर के पहले सप्ताह में करना ज्यादा फायदेमंद होता है। इसकी अच्छी पैदावार के लिए 18 से 24 डिग्री सेल्सियस का तापमान बहुत ज्यादा लाभदायक होता है। और गाजर की खेती क्व लिए मिट्टी नरम और मुलायम होना चाहिए। इस खेती में अच्छी जल निकासी वाली 6 से 7 फीट मिट्टी का चयन करना लाभकारी होता है।

गाजर की खेती में रोगों से बचाव कैसे करे

गाजर की खेती को रोगों से बचने के लिए मिट्टी की गहरी जुताई करना ज्यादा फायदेमंद होता है। इसकी खेती के जमींन समलत होना ज्यादा फायदेमंद होती है। एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए लगभग 4 से 6 किलो गाजर के बीज की ही बीआई करनी चाहिए। बुवाई से पहले बीजों को 24 घंटे के लिए पानी में भिगोकर इसकी खेती करना ज्यादा फायदेमंद होता है। इस तरीके को अपनाकर आप गाजर की खेती कर सकते है।

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कृषि विभाग की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक गाजर की फसल , छह-धब्बेदार घुन और रूटफ्लाई जैसी बीमारियों का खतरा रहता है। घुन और घुन के नियंत्रण के लिए 10 लीटर पानी में 10 मिली मैलाथियान का छिड़काव करना ज्यादा जरुरी होता है। गाजर रूटफ्लाई की वयस्क मक्खी गहरे हरे से काले रंग की होती है. इस कीट के लार्वा पीले सफेद रंग के होते हैं और ये गाजर की जड़ों में घुसकर अंदर तक गाजर की जड़ो को खा लेते है। और यह गाजर की फसल को बहुत से तरीके से नुकसान पंहुचा सजते है। जिसकी कारन गाजर की जड़े गाल जाती है और पौधे सूखने लगते है। इस कीट के नियंत्रण के लिए 3 मिली डाइमेथोएट को 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना ज्यादा फायदेमंद होता है। इस तरीके से आप इसकी खेवटी कर सकते है।

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