संतरे की खेती के बारे में आप भी जानते होंगे ,यह खेती किसानो के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद होती है। इसे मुख्य रूप से विदर्भ में उगाया जाता है. देश में कुल संतरा उत्पादन का 80 प्रतिशत सिर्फ महाराष्ट्र में होता है. लेकिन अब संतरे की बहुत सी किस्मे विकसित हो गयी है। जिसकी खेती किसान दूसरे देशों में कर रहे है। महाराष्ट्र सीमा के पास मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के सौसर और पांढुर्ना के इलाके में भी संतरे की खेती बढे पैमाने पर की जाती हैं, संतरे में कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती हैं. और पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं. वे स्पष्ट, स्वस्थ, त्वचा को बढ़ावा देते हैं और समग्र स्वास्थ्य और विविध आहार के हिस्से के रूप में कई बीमारियों के लिए फायदेमंद होते है।
संतरे की खेती के लिए जलवायु
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संतरे के पेड़ की वृद्धि 13 से 37 डिग्री सेल्सियस तापमान में अच्छी पैदावार की जाती है। इस फसल के लिए गर्म और थोड़ी आर्द्र जलवायु की जरूरत होती है अच्छी वर्षा और 50 से 53 प्रतिशत आर्द्रता हो तो पौधे अच्छे से विकसित हो जाते है।
इस खेती के लिए मिट्टी
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संतरे की खेती के लिए काली मिट्टी बहुत ज्यादा फायदेमंद होती है। किसानों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अच्छी जल निकासी वाला खेत संतरे की कहती के लिए अच्छा होता है। रेतीली दोमट मिट्टी में भी संतरे की पैदावार अच्छी होती है। संतरे की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 7.5 तक होना ज्यादा उपयुक्त होता है।
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संतरे की खेती करने का समय
संतरे की खेती अगर उस समय से पहले या बाद में खेती की जाये तो उत्पादन पर बहुत ज्यादा असर होता है। अगर संतरे की बागवानी की बात करें तो इसके पौधारोपण का उपयुक्त समय गर्मी के महीने में जून-जुलाई तथा ठंड के समय में फरवरी से लेकर मार्च तक का महीना इसकी खेती के लिए बहुत उपयुक्त माना जाता है। इन महीनों में इसकी खेती करना ज्यादा फायदेमंद होता है।