शादी के मौके पर कालीरो का चलन बहुत दिनों से चलता आ रहा है। दुल्हन की खूबसूरती बढ़ाने के अलावा धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से इसको महत्वपूर्ण माना जाता है। आप भी जानते होंगे, शादी का बंधन बहुत ही पवित्र होता है जिसका एहसास बेहद ही खूबसूरत के साथ होता है। शादी की अलग-अलग परंपराओं के मुताबिक इसमें कई रस्मों को निभाया जाता है। जिस तरह हिंदू धर्म में 7 साथ फेरे लेने की रस्म होती है। जिस तरह मुस्लिम समुदाय में निकाह का रिवाज़ है, उसी तरह पंजाबी समुदाय के लोग भी अलग रस्मों रिवाजों से शादी होती है।
कलीरे पहनने का महत्त्व
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पंजाबी शादी की एक रस्म बेहद ही शानदार होती है। इस पंजाबी रस्म के मुताबिक शादी में दुल्हन को कलीरे और चूड़ा पहनाया जाता है. शादी के समय दुल्हन को चूड़ा पहनाने की ये रस्म काफी पुराने जमाने से चली आ रही है। साथ ही कलीरे पहनने को बहुत शुभ माना जाता है. पंजाबी रिवाज के मुताबिक, दुल्हन को चूड़ा और कलीरे पहनाने से पहले उन्हें रात भर दूध में भिगोकर रखा जाता है। फिर इस रस्मो को पूरा किया जाता है।
कलीरे सुख समृद्धि का प्रतिक
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पंजाबी शादी में दुल्हन को कलीरे पहनाना बेहद खास और शुभ माना जाता है। कलीरे सुख समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक माने जाते है। पंजाबी शादी में दुल्हन को कलीरे इस लिए पहनाये जाते है, जिससे यह शादी किसी भी परेशानी के बिना अच्छे से संपन्न हो जाये।
कलीरे झटकने की परंपरा के बारे में
आपने देखा होगा की पंजाबी शादी में दुल्हन को कलीरे पहनाये जाते है। इसके दौरान अपनी कलाई पर पहने कलीरे नीचे बैठी लड़कियों पर झटकती हैं. यह भी एक महत्वपूर्ण रिवाज होता है। कि दुल्हन का कलीरा जिस भी कुंवारी लड़की के ऊपर गिरता है, उसकी जल्दी शादी हो जाती है ऐसा माना जाता है।
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पंजाबी रिवाज के मुताबिक दुल्हन को शादी के लगभग 1 साल तक शादी का चूड़ा हाथों में ही पहने रखना होता है, हालांकि आज कल दुल्हनें सिर्फ 40 दिनों तक ही चूड़ा पहनती हैं.कलीरे छतरी के आकार के होते हैं जो कि पहने सूखे नारियल और मखाने से बनाये जाते है। कलीरे पंजाबी दुल्हनों के लिए बहुत ज्यादा खाद होते है।