आप भी पालक की खेती के बारे में जानते ही होंगे यह पोषक तत्वों से भरपूर होती है इसलिए किसान इसकी खेती करने पर बहुत ज्यादा जोर दे रहे है। और वह पालक की खेती से बहुत ज्यादा लाभ उठा रहे है. जिससे आप कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. पालक एक सदाबहार सब्जी है और पूरे विश्व में इसकी खेती की जाती है. किसान भाई पालक की पत्तियों और बीजों को बेचकर पालक की खेती से कमाई कर सकते हैं। तो जानते है इसकी खेती के बारे में ,
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पालक एक ऐसी फसल है, जो कम समय और कम लागत में इस फसल से हम अच्छा मुनाफा कमा सकते है। पालक की 1 बार बुआई करने के बाद इसकी 5-6 बार कटाई करनी पड़ती है। इस की फसल में कीटों और बीमारियों का प्रकोप ज्यादा नहीं होता है।यह एक ऐसी फसल है जो पुरे साल में की जा सकती है. इसके लिए अलग-अलग महीनों में इस की बुआई की जाती है। इस खेती के लिए ठंडी जलवायु बहुत ज्यादा फायदेमंद होती है। ठण्ड में पालक की पत्तियों की बढ़वार अधिक होती है. इसलिए इस खेती को ठंड में करना ज्यादा लाभकारी होता है।
पालक की खेती के लिए मिट्टी
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पालक की खेती सभी प्रकार की मिटटी में की जा सकती है लेकिन इसकी खेती के लिए सबसे फायदेमंद मिटटी दोमट मिटटी होती है जिसमे इसकी खेती करने से पैदावार बहुत ज्यादा होती है। हल्का अम्लीय भूमि में भी पालक का उत्पादन किया जा सकता है. उर्वरा शक्ति वाली भूमि में पालक का उत्पादन बहुत अधिक किया जा सकता है। पालक के खेत में जल निकास का उचित प्रबंध होना ज्यादा जरुरी होता है। भूमि का पी. एच. मान 6.0 से 6.7 के बीच का अच्छा होता है. भूमि की जुताई करने के बाद हम इस खेती में अच्छी पैदावार कर सकते है।
पालक की बुआई करने का समय
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पालक की बुआई करते समय पालक के बीज को 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई पर बोना ज्यादा जरुरी होता है। इससे अधिक गइराई पर ऐसे बोन के बहुत से नुकसान भी हो सकते है। बुवाई के तुरंत बाद एक हल्की सिंचाई कर देना फायदेमंद होता है। पालक को अधिक पानी कि आवश्यकता होती है अत: समय समय पर सिंचाई करना बहुत ज्यादा जरुरी होता है। यदि पौधे कम उगे हो तो उस अवस्था में खुरपी- कुदाल के जरिये गुड़ाई करने से फसल में पैदावार बहुत ज्यादा अच्छी होती है। पालक की 1 बार बुआई करने के बाद इसकी 5-6 बार कटाई करनी होती है। बुआई के 3-4 सप्ताह बाद पालक, पहली बार कटाई के लिए तैयार हो जाता है. इस तरीके से हम इसकी खेती से अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते है।
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पालक की विभिन्न किस्मे
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पालक की बहुत प्रकार की किस्मे पायी जाती है। पालक की खेती में उत्पादन के लिए जलवायु की बहुत ज्यादा जरुरत होती है। आल ग्रीन, पूसा पालक, पूसा हरित, पूसा ज्योति, जोबनेर ग्रीन, बनर्जी जाइंट, हिसार सिलेक्शन-23,पालक नं.-५१-१६, लाग स्टैंडिंग, पूसा भारती इत्यादि पालक की अधिक उपज देने वाली किस्में है.इसकी खेती के लिए खाद की भी जरुरत होती है. साथ ही 1 क्विंटल नीम की खली को बुवाई से पहले खेत में डालकर हल से जुताई करके अच्छी तरह से मिला लिया जाता है। यदि रासायनिक खादों का प्रयोग कना है तो तो 220 किलो यूरिया, 372 किलोग्राम एस.एस.पी. और 70 किलोग्राम एम.ओ.पी. का उपयोग कर सकते है। जिसमे इस फसल से आप अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते है। और इस फसल का भरी लाभ उठा सकते है।