मसाला फसलों में जीरे का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। भी सब्जी बनानी हो या दाल या अन्य कोई डिश सभी में जीरे का इस्तेमाल करने से ही बनाई जाती है। बिना इसके सारे मसालों का स्वाद बहुत ज्यादा फीका लगने लगता है।कोई भी चीज जीरे के बिना स्वादिस्ट नहीं लगती है। जीरे को भूनकर छाछ, दही आदि में डालकर खाते है।जीरा खाना हमारे शरीर के लिए भी फायदेमंद होता है। पौधा दिखने में सौंफ की तरह दिखाई देता है। इसकी उन्नत तरीके से खेती की जाए तो इस फसल से बहुत ज्यादा पैसा कमाया जा सकता है। आइए जानते है इसकी खेती के बारे में,
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भारत में जीरे का उत्पादन
भारत में देश का 80 प्रतिशत से अधिक जीरा गुजरात व राजस्थान राज्य में इसकी कजहेति कर के उगाया जाता है। राजस्थान में देश के कुल उत्पादन का लगभग 28 प्रतिशत जीरे का उत्पादन किया जा रहा है। तथा राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में कुल राज्य का 80 प्रतिशत जीरे की पैदावार की जा रही है। लेकिन इसकी औसत उपज गुजरात राज्य में थोड़ी कम की जा रही है।
जीरे में पाएं जाते है विटामिन
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जीरा खाना शरीर के लिए फायदेमंद होता है इसमें बहुत से विटामिन पाए जाते है। यह एंटी-ऑक्सिडेंट होता है। और साथ ही यह सूजन को करने और मांसपेशियों को अच्छा बनाने में फायदेमंद होता है। इसमें फाइबर भी अधिक मात्रा में पाया जाता है। और यह आयरन, कॉपर, कैल्शियम, पोटैशियम, मैगनीज, जिंक व मैगनीशियम जैसे मिनरल्स सभी गुणों से भरपूर होता है। इसमें विटामिन ई, ए, सी और बी-कॉम्प्लैक्स जैसे विटामिन भी काफी मात्रा में पायी जाती है।
जीरे की विभिन्न किस्मे
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आर जेड-19 : जीरे की यह किस्म 120-125 दिन में पककर तैयार की जा सकती है। इससे 9-11 क्विंटल तक प्रति हैक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इस किस्म में उखटा, छाछिया व झुलसा रोग कम मात्रा में होते है। आर जेड- 209 : यह भी किस्म 120-125 दिन में पककर तैयार की जाती है। इसके दाने मोटे होते हैं। इस किस्म से 7-8 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक उपज प्राप्त होती है। इस किस्म में भी छाछिया व झुलसा रोग कम होते है। जी सी- 4 : जीरे की ये किस्म 105-110 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसके बीज बड़े आकार के होते हैं। इससे 7-9 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। आर जेड- 223 : यह किस्म 110-115 दिन में पककर तैयार की जा सकती है। जीरे की इस किस्म से 6-8 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसमें बीज में तेल की मात्रा 3.25 प्रतिशत होती है।
जीरे की खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
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जीरे की खेती करने का सबसे सही समय नवंबर माह क होता है। इस हिसाब से जीरे की बुवाई 1 से लेकर 25 नवंबर के बिच कर देनी चाहिए।
जीरे की बुवाई कल्टीवेटर से 30 सेमी. के अंतराल में पंक्तियां बनाकर करना ज्यादा फायदेमंद होता है। क्योंकि ऐसा करने से जीरे की फसल में सिंचाई करने व खरपतवार निकलने की समस्या नहीं होगी।
जीरे की खेती के लिए ठंडी जलवायु बहुत ज्यादा लाभकारी होती है। बीज पकने के बाद गर्म एवं शुष्क मौसम जीरे की अच्छी पैदावार के लिए आवश्यक होता है।
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जीरे की खेती से मुनाफा
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जीरे की खेती से हम अच्छा खासा पैसा कमा सकते है। जीरे की औसत उपज 7-8 क्विंटल बीज प्रति हेक्टयर प्राप्त हो जाती है। जीरे की खेती में लगभग 30 से 35 हजार रुपए प्रति हेक्टयर की लागत लगती है। जीरे के दाने का 100 रुपए प्रति किलो भाव रहना पर 40 से 45 हजार रुपए प्रति हेक्टयर का मुनाफा उठा सकते है। इस खेती से हम बहुत ज्यादा फायदा कमा सकते है।