अगर है यह बीमारी तो नहीं होगा विटामिन डी की दवाएं का असर, हो जाइये सावधान, वर्तमान समय में हर चौथे व्यक्ति में से तीन व्यक्तियों का सामना विटामिन डी की कमी से हो रहा है, जैसा कि भारत के विभिन्न लैबों से प्राप्त डेटा के आधार पर प्रकट हो रहा है।
Vitamin D supplements
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इस डेटा से पता चलता है कि देश में 70% से अधिक जनसंख्या में विटामिन डी की कमी है। लोगों के खानपान की गलत आदतों और सूर्य की कमी के कारण, विटामिन डी की कमी बढ़ रही है। इस कमी को पूरा करने के लिए, लोग अब दवाएं खा रहे हैं, जिसका उपयोग पिछले पाँच वर्षों में तीन गुना बढ़ गया है। विटामिन डी शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह हड्डियों को मजबूत रखता है और मांसपेशियों के लिए भी आवश्यक है।
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इसका सबसे अच्छा स्रोत सूर्य की किरणें हैं। उन लोगों के लिए, जो नियमित रूप से सूर्य के संरक्षण का आनंद लेते हैं, उनके शरीर में कभी भी विटामिन डी की कमी नहीं होती है। लेकिन यदि इसमें कमी होती है, तो हड्डियाँ कमजोर हो सकती हैं, ब्रेन से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं और कुछ मामलों में बाल झड़ सकते हैं। आज के समय में यह देखा जा रहा है कि कम उम्र में ही लोगों में इस विटामिन की कमी हो रही है, और इस कमी को दूर करने के लिए लोग दवाएं ले रहे हैं।
रखे ध्यान इस बातो का
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दिल्ली के जीटीबी हॉस्पिटल के रेजिडेंट डॉ. अंकित गुप्ता बता रहे हैं कि मैग्नीशियम लिवर और किडनी के फंक्शन के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। इसलिए, यदि शरीर में मैग्नीशियम की कमी है, तो विटामिन डी की खुराक से इसका उपयोग करने की क्षमता कम हो सकती है। इससे ब्लड में कैल्शियम और फास्फोरस का स्तर बढ़ जाता है, और इस स्थिति में क्रोनिक किडनी डिजीज और हार्ट डिजीज का खतरा हो सकता है। हार्वर्ड के टीएच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ ने भी इस पर रिसर्च की है। ऐसे में जो लोग विटामिन डी की दवाएं या सप्लीमेंट्स ले रहे हैं, उन्हें पहले यह जान लेना चाहिए कि उनके शरीर में मैग्नीशियम का स्तर क्या है। यदि आपक